ग्रेगोरियन कैलेंडर में कुछ नौसिखिये पहलू भी दिखाई पड़ते हैं। जैसे कि अर्धरात्रि को 12.00 बजे घुप्प अंधकार के बीच, जब सारी दिनचर्या ठप्प पड़ जाती है- तब ग्रेगोरियन कैलंडर के हिसाब से नया दिन करवट लेता है। आधी रात को तिथि बदल जाती है! पर वहीं दूसरी ओर, भारतीय संवत् के अनुसार हर सुर्योदय के साथ, जब धरा पर नांरगी किरणें बिखरती हैं, तब नया दिन चढ़ता है। माने सूर्यदेव के दर्शन के साथ ही नए दिन का सुस्वागतम्! कहिए, कौन सी बात ज्यादा जंचती है?