आदिकाल से समस्त तत्त्व-ज्ञानियों ने ईश्वर के विषय में एक महत्त्वपूर्ण उद्धोषणा की परामात्मा दर्शन या देखे जाने का विषय है। वह प्रत्यक्ष रूप से अनुभवगम्य है। यह पुस्तक आह्वान। समाज की भ्रांत-धारणाओं को झकझोर कर इसी सनातन उद्धोषणा को उजागर करने के लिए रची गई है। पाठकों से अनुरोध है कि आप स्वयं को पहले की सभी धारणाओं से स्वतंत्र कर ईश्वर के एक सच्चे जिज्ञासु या पिपासु बनकर इस पुस्तक को पढे। इस पुस्तक का एक-एक वक्तव्य प्रामाणिक शास्त्र-ग्रंथों के आधार पर दिया गया है और यही गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी का भी मत है।
आपके भीतर ईश्वर-दर्शन की प्रबल भावना जगे और आप अपने जीवन के परम लक्ष्य 'ईश्वर-दर्शन' हेतु आगे बढें- यही इस पुस्तक का ध्येय है।